मैं सिखाते समय क्या एप्रोच लेती हूँ।
मैं कर के दिखाती हूँ, कैसे करना है सिखाती हूँ, और करने को कहती हूँ ।
1. मैं रटाती नहीं हूँ।
2. मैं vocabulary की लिस्टें नहीं देती।
3. मैं बड़ा बड़ा थ्योरी या ग्रामर का ज्ञान नहीं देती।
4.
मैं ग्रामर की किताब रूल by रूल सिर्फ अपनी फुल टाइम क्लास में पढ़ाती हूँ।
सबकी उस तरह पढ़ने की क्षमता नहीं होती। खास तौर पर पहले हफ्ते में नहीं।
5. मैं इस तरह पढ़ाने की कोशिश करती हूँ, कि पहले एक महीने में, आप कहीं से भी शुरू कर लें, कोई खास दिक्कत नहीं आएगी।
अगर
लिस्ट रट के वोकैबुलरी आ सकती तो आपने अब तक सीख ली होती। अगर सिर्फ
किताबें इकट्ठी करने से अंग्रेज़ी आ जाती तो अब तक आ गयी होती। अगर सिर्फ
वीडियो / पिक्चर / न्यूज़ सुन कर हम बोलना सीख सकते तो सीख लिया होता।
सीखते हमेशा कर के हैं। रोटी बनाने की किताबें पढ़ कर रोटी बनानी नहीं आती।
सबसे पहले आड़ी टेढ़ी बेलनी पड़ती है। जलानी पड़ती है। कच्ची रह जाती है।
जो
लोग कम्फर्ट ज़ोन में रहना चाहते हैं, मैं आपके लिए सही शिक्षिका नहीं हूँ।
अगर बेसिक आता है तो एडवांस्ड करो। अगर नहीं आता तो बेसिक करो।
'समय
नहीं है', भैया दिन के 15 मिनट भी नहीं हैं, तो खुद को धोखा मत दो।
अंग्रेजी छोड़ के वो करो, जिसके लिए यमराज की रस्सी पे भी समय निकालने की
इच्छा होती हो !
'लेकिन आप हमें सिखाओ' कहने वालो - तो और कौन सिखा
रहा है? फीडबैक सबको देती हूँ, लगभग एक एक जन को, जितना संभव हो। One on
One फीडबैक देना टेक्स्ट पर संभव होता है, वॉइस में समय का अभाव होता है,
इसलिए voice सिर्फ हफ्ते में एक बार सुनती हूँ। लेकिन अगर आपका एप्रोच
सिर्फ ये रहने वाला है - 'हमें बेसिक से सीखना है, हमें पीछे का भी सिखाओ
लेकिन हम वेबसाइट भी खोल के नहीं देखेंगे, हमें तो कुछ समझ नहीं आ रहा', तो
मैं आपके लिए सही शिक्षिका नहीं हूँ।
मुझसे सीखने का एक ही तरीका
है - 1. 'नहीं' शब्द को बाहर फेंक दें अपनी ज़िन्दगी से। 2. आँखें, दिमाग,
और अपनी सोच खोलें। 3. अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर आएं। 4. शर्म झिझक छोड़
कर अपने उत्तर ग्रुप में डालें। 5. फीडबैक लें, आगे सीखें।
बाकि बहाने बनाने हैं, तो बनाते रहिये, मेरा कौन सा नुकसान है। मुझे तो अंग्रेजी, बोलनी, पढ़नी, लिखनी, पढ़ानी - सब आती है।
#english_with_anupama
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